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महाकुंभ 2025: सिर्फ 1296 रुपये में करें हेलिकॉप्टर राइड और देखें कुंभनगरी का अनोखा सौंदर्य

महाकुंभ 2025: सिर्फ 1296 रुपये में करें हेलिकॉप्टर राइड और देखें कुंभनगरी का अनोखा सौंदर्य प्रयागराज में 2025 में आयोजित होने वाले महाकुंभ मेले में श्रद्धालुओं के लिए एक बेहद खास और अनूठी सुविधा का प्रावधान किया गया है। अब मात्र 1296 रुपये में श्रद्धालु हेलिकॉप्टर राइड का आनंद लेते हुए कुंभनगरी की भव्यता को आसमान से देख सकते हैं। इस सेवा का उद्देश्य श्रद्धालुओं को महाकुंभ मेले का एक अलग और यादगार अनुभव प्रदान करना है। बुकिंग के लिए www.upstdc.co.in पर जाएं. टिकट की कीमत मौसम और मांग के अनुसार बदल सकती है.  BOOK NOW कुंभनगरी की अद्भुत झलक  महाकुंभ 2025 के दौरान हेलिकॉप्टर राइड के जरिए श्रद्धालु गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम का दिव्य दृश्य देख पाएंगे। संगम क्षेत्र के अलावा, इस राइड में कुंभ मेले की भव्यता, लाखों श्रद्धालुओं की भीड़, विशाल टेंट सिटी, और आयोजन के भव्य प्रबंधों को भी आसमान से देखा जा सकेगा। यह नज़ारा न केवल आंखों को सुकून देगा बल्कि श्रद्धालुओं को एक अविस्मरणीय अनुभव प्रदान करेगा।

महाकुंभ में ठंड का कहर! स्नान के बाद नेता-संत समेत तीन की मौत, 3 हजार से ज्यादा लोग हुए बीमार

Credit/Source : ABP News तीन लोगों की मौत, हजारों बीमार: महाकुंभ में शाही स्नान के बाद हुआ हादसा प्रयागराज: महाकुंभ मेले के दौरान शाही स्नान के बाद तीन लोगों की मौत हो गई, जबकि हजारों लोग बीमार पड़ गए। रिपोर्ट्स के अनुसार, इनमें से महेश विष्णुपंत कोठे को दिल का दौरा पड़ा, जिससे उनकी मौत हो गई। शाही स्नान में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए थे। प्रशासन का कहना है कि भीड़ प्रबंधन और स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर सभी आवश्यक कदम उठाए गए थे, लेकिन भारी भीड़ के कारण कुछ जगहों पर स्वास्थ्य सेवाओं पर दबाव बढ़ गया। स्थानीय अधिकारियों के अनुसार, बीमार पड़े लोगों में अधिकतर को हल्की थकान, कमजोरी और डिहाइड्रेशन की समस्या हुई। चिकित्सा शिविरों में उनका इलाज किया गया। प्रशासन ने सभी श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे स्वास्थ्य का ध्यान रखें और जरूरत पड़ने पर तुरंत चिकित्सा सहायता लें। यह घटना महाकुंभ मेले के दौरान भीड़ प्रबंधन और स्वास्थ्य सुरक्षा के प्रति और सतर्कता बरतने की जरूरत को रेखांकित करती है। Credit/Source : ABP News

महाकुंभ में पहला शाही स्नान, 3.5 करोड़ ने डुबकी लगाई:लोगों को रेलवे स्टेशन जाने से रोका, ट्रेन के हिसाब से प्लेटफार्म पर भेजा जा रहा

  कुंभ मेला हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जिसका इतिहास कम से कम 850 वर्ष पुराना माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इसकी शुरुआत आदि शंकराचार्य ने की थी। हालांकि, कुछ पौराणिक कथाओं के अनुसार, कुंभ मेले की परंपरा समुद्र मंथन के समय से ही प्रारंभ हो गई थी। पौराणिक कथा के अनुसार, महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण इंद्र और अन्य देवता शक्तिहीन हो गए थे, जिससे राक्षसों ने उन पर आक्रमण कर दिया। इस समस्या के समाधान के लिए भगवान विष्णु ने देवताओं को दैत्यों के साथ मिलकर क्षीर सागर का मंथन कर अमृत निकालने की सलाह दी। समुद्र मंथन से अमृत कलश प्राप्त हुआ, जिसे इंद्र के पुत्र जयंत ने देवताओं के इशारे पर लेकर आकाश में उड़ान भरी। राक्षसों ने उनका पीछा किया, जिससे 12 दिनों तक देवताओं और दैत्यों के बीच संघर्ष हुआ। इस दौरान अमृत की बूंदें हरिद्वार, प्रयाग (इलाहाबाद), उज्जैन और नासिक में गिरीं। इसीलिए इन चार स्थानों पर कुंभ मेले का आयोजन होता है। कुंभ मेले का आयोजन हर 12 वर्ष में एक बार होता है, जबकि प्रत्येक स्थान पर हर 3 वर्ष के अंतराल पर यह मेला आयोजित किया जाता है। इस प्रकार, हरिद्वार, प्रयाग, उज्जैन और नासिक में बारी-बारी से कुंभ मेले का आयोजन होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कुंभ में स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। प्रयागराज में महाकुंभ मेला 2025: दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन   Credit : Dainik Bhaskar